मूर्खता किसे कहते हैं, बुद्धिमानी किसे कहते हैं!
मूर्ख और बुद्धिमान में क्या फर्क है, मूर्ख कैसे बनता है बुद्धिमान कैसे बनता है।
जीवन में हम जिस सामाजिक परिवेश में जीते हैं वहां पर हर एक व्यक्ति के प्रति एक विशेष नजरिया होता है! और उसी से उस व्यक्ति को जाना जाता है, जैसे कि बहुत सारे लोग किसी व्यक्ति को उसकी कार्यशैली की कारणों से बुद्धिमान कहते हैं, और कई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को उसकी कार्यशैली के लिए मूर्ख भी कहते हैं! लेकिन आपने गौर किया होगा की जीवन में वह लोग ही आश्चर्यचकित कर देने वाली सफलता प्राप्त करते हैं! जोकि मूर्ख कहे जाते हैं, यानी कि यहां मेरा तात्पर्य किसी प्रकार से किसी अयोग्य व्यक्ति को सही साबित करना नहीं है, कुल मिलाकर आप यही समझ सकते हैं, बड़ी सफलता है, उन्हीं मिलती है जो बड़ा रिस्क लेते हैं! इसे हम एक उदाहरण के जरिए जानेंगे!
जब भी आप अपने जीवन में कोई ऐसा कार्य करते हैं! जो पारंपरिक नियमों के विरुद्ध हो या उससे मेल नहीं खाता हो, तब इस सामाजिक परिवेश के लोग ऐसे व्यक्ति को मूर्ख कहते हैं,पागल कहते हैं, लेकिन ऐसे इंसान जब जीवन में सफल होते हैं, तो उन्हीं की जय जयकार होती है, व इन्हीं व्यक्तियों को जीवन में बड़ी सफलताएं प्राप्त होती है, जो अपने हौसलों से अपनी कार्यशैली पर विश्वास करते हुए कार्य करते हैं!
मूर्खता, बुद्धिमानी व बहादुरी में क्या फर्क है।
जीवन में जब भी कोई कार्य आप करते हैं, अगर उसमें आप सफल होंगे तो यह सामाजिकता के लोग आपको बुद्धिमान और बहादुर कहेंगे और जब आप उसी काम में असफल हो जाएंगे तो लोग आपको मूर्ख और पागल कहेंगे, तो सफलता और असफलता ही तय करती है कि आप मूर्ख हैं या बुद्धिमान जब कोई इंसान बड़ी जंग जीत लेता है, तो उसे बहादुर कहा जाता है, एवं वही इंसान जब हार जाता है तो, उसे पागल व मूर्ख कहा जाता है! और तरह-तरह की उसे सलाह देने लगते हैं, कि उसे यह नहीं करना चाहिए था, उसे वह नहीं करना चाहिए था, वह ऐसा करता तो ठीक रहता,वह ऐसा नहीं करता तो ठीक रहता। तो लोग तो कहेंगे,
इसलिए हर इंसान को अपने जीवन में रिस्क लेने ही होते हैं,रिस्क नहीं लेने के अभाव में हर व्यक्ति का जीवन रिस्क में पड़ जाता ,है क्योंकि हम किसी कार्य को करने के लिए कर हिम्मत नहीं करेंगे एवम् इंतजार करते रहेंगे या बैठे रहेंगे तो समय तो फिर अंत में हमें रिस्क लेना ही होगा!
Comments
Post a Comment