40 की उम्र के बाद प्यार कैसे करें। तो यह रोमांटिक प्रेम स्टोरी "थोड़ी सी खुशी जी लेने दो जरा"आपको जरूर पढ़नी चाहिए।

 40 की उम्र के बाद प्यार कैसे करें। तो यह रोमांटिक प्रेम स्टोरी थोड़ी सी खुशी जी लेने दो जरा आपको जरूर पढ़नी चाहिए।


मोहब्बत एक ऐसा शब्द है, जिसको सब सुनते और इसके बारे में जानते तो है। परंतु इसके मायने क्या है, यह हर कोई नहीं जानता आज की कहानी है, ऐसे दो लोगों की, जिनको प्यार की तलाश जीवन भर रही, लेकिन वह कभी अपनी मोहब्बत को जी नहीं पाए, एक और सुलोचना है- दो बच्चों की मां है, जिसने अपने जीवन के 40 वर्ष जी चुकीं है, उसके लाइफ में सब कुछ बस चल ही रहा है, उसके पति के बहुत बड़े अफसर हैं। जो अपने कामकाज में काफी व्यस्त रहते हैं, शारीरिक तौर पर उसके पति उसके साथ संबंध बनाते हैं, परंतु फिर भी वह उसके साथ खुश नहीं है, सुलोचना एक बहुत अच्छे खानदान से ताल्लुक रखती है, जिसने हमेशा से खुद को कभी चरित्र से गिरने नहीं दिया, लेकिन उसको हमेशा से ही लगता कि, उसके जीवन में कहीं कोई कमी है। उसको भी अपने लिए ख्याल करने वाला उसकी सोच को समझने वाला कोई चाहिए था। लेकिन उसे दुनिया की सच्चाई पता थी कि रिश्ते आकर्षण और सेक्स के आधार पर हर कोई बना लेता है, परंतु उससे ऐसे शख्स की याद हमेशा रहती जो कुछ स्पेशल हो, वह अपने सपनों में ऐसे व्यक्ति के बारे में सोचा करती जो जिस्मानी संबंध के आधार पर उससे मोहब्बत ना करे, बल्कि सच्ची मोहब्बत करने वाला उसकी फिलिंग्स और एहसास को समझने वाला कोई हो ।


दूसरी तरफ प्रकाश की शादी 20 वर्ष की उम्र में ही हो चुकी थी, प्रकाश के भी दो बच्चे हैं, एवम् उसकी उम्र अभी 33 वर्ष की है, वह अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण कभी खुद की जिंदगी में मोहब्बत को जी नहीं पाया एक सामान्य परिवार का होने के कारण जीवन की भाग दौड़ में समय बिताता ही जा रहा है, प्रकाश की पत्नी फीलिंग्स, एहसास, मोहब्बत इत्यादि को सीरियसली नहीं लेती है, वह अपने घर के कामकाज में इतनी व्यस्त रहती है कि, कभी प्रकाश को मोहब्बत और उसकी फिलिंग्स को समझते हुए समय दे ही नहीं पाई ।


इन दिनों प्रकाश अपने लिए नए कामकाज की तलाश में शहर जाता है, वह अपने दोस्त के यहां रहता है, प्रकाश काफी अलग स्वभाव का है। वह किसी लड़की को सिधे देखने से कतराता है, लेकिन उसको भी हमेशा ‌उसको समझने वाली लड़की की तलाश रही है, जहां प्रकाश रहता है, वही सामने ही के फ्लैट में सुलोचना भी अपने परिवार के साथ रहती है, प्रकाश सुलोचना को चुपके-चुपके देखता है, लेकिन वह कभी इसका एहसास किसी को नहीं होने देता, सुलोचना की रहन-सहन उसकी सादगी प्रकाश को आकर्षित करती है।


 वही सुलोचना भी प्रकाश की ओर चोरी चुपके देख लिया करती है, सुलोचना को लगता है कि, प्रकाश भी उसे चोरी चुपके से देखता है, लेकिन कभी उसको अपनी और देखते हुए नहीं देख पाती, प्रकाश रोज काम के सिलसिले में दिन में घर से बाहर चला जाता है, लेकिन सुबह शाम बालकनी में सुलोचना से नजर बचाकर उसे निहारता रहता है, सुलोचना को प्रकाश पर शक होने लगा कि, प्रकाश को उस में इंटरेस्ट है, तो इसके लिए उसने अपने साड़ी का पल्लू अपनी कमर से हटाकर ट्राई किया तो, तुरंत प्रकाश ने अपनी नजर वहां से हटाकर अपना ध्यान कहीं और लगा लिया सुलोचना प्रकाश के व्यवहार को देखकर कुछ अलग सा अनुभव करने लगी।


 तभी सोसाइटी में शाम को लौटते समय प्रकाश के दोस्त ने सुलोचना को नमस्कार किया, सुलोचना ने पूछ लिया कि यह कौन है तो, प्रकाश के बारे में उसे बहुत कुछ पता चला, और उससे उस दिन बोलचाल हुआ, लेकिन उस दिन के बाद नजर चुरा कर दोनों कभी-कभी एक दूसरे को देखते, लेकिन इससे आगे कुछ भी नहीं बढ़ा, सुलोचना ने अपनी बेटे की जन्मदिन की पार्टी में प्रकाश के दोस्त को इनवाइट किया, साथ में प्रकाश को भी आने को कहा, प्रकाश का स्वभाव कुछ शर्मिला और कुछ अलग सा था, वह लोगों की भीड़ से दूर ही रहना पसंद करता था, वह पार्टी में चला तो गया, लेकिन खुद को किसी शांत जगह में अलग ही खड़ा हो गया और लोग उस पर ध्यान ना दें, इसलिए वह खुद को मोबाइल में बिजी करने का दिखावा करने लग गया। 


लेकिन वह सुलोचना को व सुलोचना उसे चोरी छुपे देख ही लेते थे, जब काफी समय बाद भी पार्टी में सुलोचना को उसने कुछ भी नहीं कहा तो सुलोचना ने हीं उससे खाने के बहाने कुछ बात करनी शुरू की, लेकिन प्रकाश ने ज्यादा कुछ बातचीत नहीं की और पार्टी खत्म होने के बाद वह वहां से चुपचाप ही चला गया। कुछ दिनों बाद वह अपने लिए शहर में काम ढूंढ लेता है, और वही उसी सोसाइटी में फ्लैट किराए पर ले लेता है,एव वहीं पर उसका परिवार और बच्चे आकर उसके साथ रहने लगते हैं, इस फ्लैट के सामने से भी सुलोचना की बालकनी   दिखाई देती है, अब वह रोज सुबह शाम सुलोचना व प्रकाश को जब भी समय मिलता तो एक दूसरे को देख कर मन ही मन बातें करने लग जाते,दोनों को एक दूसरे की सभी आदतें बहुत ज्यादा पसंद थी।


लेकिन इतना सब होने के बाद भी परिवारिक और समाज के नियमों में बंधे कभी भी एक दूसरे की मर्यादा को तोड़ने के लिए तैयार नहीं थे, उनका यह प्रेम का बंधन काफी समय तक ऐसे ही चलता रहा, प्रकाश जो भी पहनता वह उसे पसंद आता सुलोचना जो भी पहनती वह प्रकाश को पसंद आता। धीरे-धीरे इस प्रेम कहानी में 1 दिन दोनों के बीच कुछ ऐसा हुआ जो दोनों की जिंदगी में बड़ा बदलाव लाया। 


अगर आपको इस कहानी में जरा भी रुचि रही हो,

आप भी अगर उम्र की एक सीमा तक पहुंच गए हैं,अगर आप भी इस कहानी से रिलेट करते हैं, आपको यह कहानी पसंद आ रही हो तो जरूर कमेंट कीजिएगा तभी हम इसका अगला भाग आप तक पहुंचा पाएंगे

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