यह काम करोगे तो तुम्हारी जिंदगी में दुख आएंगे, जिंदगी में दुख क्यों आते हैं, इसका कारण क्या है!
कर्मों का फल भुगतना पड़ेगा, खुद की ताकत कमजोर पर दिखाना पाप कर्म है, किसी का अहित करना क्यों पाप कर्म बन जाता है।
हम अपने जीवन में अनेकों कर्म करते हैं, जो हमारे लिए सामान्य होते हैं,मगर जब हम ऐसे कर्म करते हुए, अपनी इच्छा स्वार्थ में किसी अन्य की परवाह किए बिना कोई काम कर जाते हैं, तो हमें खुद को ताकतवर और ओजस्वी मान रहे होते हैं, हमें यह घमंड हो जाता है कि मैं स्पेशल हूं, मैं समाज का मालिक हूं, और मैं चाहूं वैसा कर सकता हूं, मेरे साथ ताकतवर लोग हैं, लेकिन यह सब एक विचार है जो आपको भ्रमित करता है.
आप ऐसी गलतफहमी के कारण अगर किसी भी व्यक्ति का बुरा करते हैं, किसी भी व्यक्ति को ऐसी चोट पहुंचाते हैं,तो वह चाहे कोई भी हो, जिसको आपने परेशान किया है, अगर उसके आत्मा और मन में आप के कारण दुख पहुंचता है तो, आप का नाश प्रारंभ हो जाता है,और ऐसे कोई भी ताकतवर व्यक्ति के जीवन में अनेकों दुख आने लगते हैं,जैसे कि किसी विवाद का प्रारंभ हो, जाना संतान को कष्ट होना ,संतान का असमय मर जाना, बच्चों को चोट पहुंचना, व्यापार कारोबार में हानि, परिवार जनों को व स्वयं को बीमारी लग जाना, रोगों का ठीक नहीं होना, एक्सीडेंट में मृत्यु होना, गंभीर चोट लगना, ऐसे बहुत से कष्टों का कारण क्या है।
उसका कारण है, अपना जीवन जीते हुए सामाजिक न्याय और सद्भावना की परवाह किए बिना जो कर्म कर रहे हैं एवं उनसे किसी को चोट पहुंच रही है, और वह उसके असाध्य दुख का कारण बनती है, तो उस बात को व आचरण को अपने स्मरण में रखेगा, हर क्षण उस की आत्मिक पीड़ा उसका बुरा ही सोचेगी और "ईश्वर की इस जगत में जो शक्ति मौजूद है, वह अपना सामाजिक न्याय व संतुलन स्थापित करना प्रारंभ कर देगी"।
इसलिए इसे एक उदाहरण के द्वारा समझते हैं।
एक ताकतवर आदमी एक स्थान पर भूखंड कि कुछ जमीन लेता है, वह क्षेत्र लोगों के खेतों का है, यानी उस कॉलोनी के आसपास लोगों के वर्षों से खेत रहे हैं, एवम् जो कॉलोनी में उसने जमीन ली है, उसमें भू माफियाओं ने फर्जीवाड़ा किया है, ताकतवर आदमी को माफियाओं द्वारा बेच दी जाती है, जो कागजों में उसके नाम है, मगर असल में वह दूसरे के खेतों के मालिक के खेत में है। जिसको कागजों में हेरफेर से उन्होंने अपने नाम करवा लिया है, ताकतवर आदमी ऐसी जमीन ओने पोने दाम में ले लेता है, यानी बस कुछ चंद रुपयों में।
अब अपनी गुंडागर्दी के दम पर उन खेत के मालिकों को डरा धमका कर उनके खेत की सीमाओं पर अपने मकान की जमीन निकलवा लेता है, ताकतवर आदमी को पुलिस तहसीलदार एसडीएम सब के सब सपोर्ट करते हैं, क्योंकि वह स्थानीय विधायक का खास आदमी है,एव सब लोगों के बीच वह रसूखदार आदमी है, तो खेतों के मालिक पुलिस कार्यवाही करने से भी क्या हासिल कर सकते थे, जिन खेत की जमीन उसने जमीन छीनीं, उस खेत के मालिकों का अपनी जमीन से बेहद लगाव और जुड़ाव बहुत गहरा था।
जो लगाओ जमीन से होता है ,उसे कभी शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता, यह एक जमीन के ममत्व से जुड़ा हुआ बहुत गहरा संबंध होता है,जिसे किसी ताकतवर आदमी ने अपने गुंडई के दम पर छीन लिया, क्योंकि वह ताकतवर है, सब लोग उसके साथ हो जाते हैं, जो कुछ उसके साथ नहीं थे,वह सब चुप रहने में अपनी भलाई समझते हैं, जिनकी जमीन छीनी गई, उसके बाद उनको उस घटना से बहुत बुरा सदमा लगा, अब उनकी जिंदगी का प्रत्येक पल उनकी सोच में वह दुख वह घटना हर पल घूमती रहती है, जो सोते और जागते हर क्षण ताकतवर आदमी के दिए गए अन्याय पूर्ण कर्म के लिए उसे बद्दुआ और गाली देते हैं, भले ही वह ताकतवर आदमी इस हमारी सामाजिकता में अपना कानून अपनी मर्जी चला रहा है, परंतु इस जगत में ईश्वरीय शक्ति भी मौजूद है ईश्वरीय कानून हमेशा सच्चाई और न्याय का साथ देता है।
क्या है अलौकिक न्याय।
जब कोई ताकतवर आदमी ऐसे अन्याय पूर्ण कर्म करता है, तो तभी से उसके अंत की शुरुआत हो जाती है, एवं उस व्यक्ति के जीवन में बाधाएं और कष्ट आना प्रारंभ हो जाते हैं, ऐसे में वह अपने अंतर्मन से यह जान लेता है। कि उसने जो गलत काम किया है, उसका उसे वास्तविक पछतावा होता है, एवं वह अपने कर्मों को ठीक कर लेता है, तो ठीक है - वरना अब उसके जीवन में उसके बच्चों और उसके वंश के जीवन में उत्पन्न होती है पीड़ा, जिसका स्वरूप क्या होता है, जैसे उस ताकतवर व्यक्ति के संतान पर कष्ट आता है, उसके परिवार जनों को रोग होने लगते हैं, धन और संपत्ति में हानि होने लगती है, उसके जीवन में हर पल की मानसिक चिंता बढ़ने लगती है, धन होने के बावजूद असंतुष्टि व पीड़ा रहती है, क्योंकि ऐसा धन कभी फलित नहीं होता, कभी लाभ नहीं देता जो किसी को दुख और पीड़ा देकर हासिल किया गया हो।
यह एक अटल सत्य है, अलौकिक न्याय सत्य पर निर्णय करता है, अगर कोई किसी पर अत्याचार और अन्याय करता है, तो उसे उसका परिणाम भुगतना ही होगा, उसे असंख्य दुखों और कष्टों का सामना करना होगा, जहां उसकी पाप से कमाई गई ताकत और धन सब बेकार हो जाएंगे, उसे उसकी अन्याय के लिए भुगतना ही होगा।
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