6 रोचक जानकारी विक्रम साराभाई (Vikram Sarabhai) के बारे में भारत के अंतरिक्ष प्रोग्राम में महत्वपूर्ण योगदान था। Rocket boys webseries Story



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भारत की स्पेस एजेंसी इसरो आज पूरी दुनिया में श्रेष्ठ संस्थानों में से एक मानी जाती है, जो हर भारतवासी के लिए गर्व की बात है, लेकिन इसरो की बुनियाद रखने वाले और देश में स्पेस प्रोग्राम एवं इस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण नाम है, विक्रम साराभाई का जिन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में इस देश के लिए अहम योगदान दिया है, उन्होंने अपने काम से अपने राष्ट्रभक्ति को साबित किया है, यहां तक कि उन्होंने ऐसे वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित एवं प्रेरित किया है, जिन्होंने देश के लिए विज्ञान के क्षेत्र में बहुत सारी विशेष उपलब्धियां हासिल की है, जिनमें से 1 नाम एपीजे अब्दुल कलाम का भी है।


विक्रम साराभाई का जन्म वर्ष 1919 में 12 अगस्त को  गुजरात के अहमदाबाद में हुआ था। इनके पिता एक उस समय के एक अच्छे जाने माने बिजनेसमैन थे। एवं उनका नाम अंबाला सारा भाई था। एवं उनकी माता का नाम सरला देवी था। प्रारंभ से ही उनके परिवार का भारत की आजादी में और विकास में अहम योगदान रहा था। उनके घर राष्ट्रवादी सोच रखने वाले लोग अक्सर आया करते थे। शायद राष्ट्र के प्रति प्रेम रखने वाले लोगों के बीच रहने से ही उनके मन में भी देश के प्रति देशभक्ति का भाव उत्पन्न हुआ।


विक्रम शुरू से ही बहुत ही मेहनती स्वभाव के व्यक्ति एवं एक कुशल प्रशासक भी थे,


1.एक बार जब 1920 में रविंद्र नाथ टैगोर अहमदाबाद आए थे तो, वे अंबाला सारा भाई के घर पर ही रुके थे, एवम् तब विक्रम साराभाई से मिले थे, उनके ललाट को देखते हुए उन्होंने यह भविष्यवाणी की थी कि, यह लड़का आगे चलकर बहुत बड़े काम करेगा, कुछ लोग मानते हैं कि, रविंद्र नाथ टैगोर ने उनके मस्तिष्क के आकार से ही उनके भविष्य को भांप लिया था, इसके अलावा जब उन्होंने कैंब्रिज में मात्र 18 वर्ष की उम्र में फिजिक्स और मैथ पढ़ने के लिए एडमिशन लिया, तब भी रविंद्र नाथ टैगोर ने उनके लिए रिकमेंडेशन लेटर लिखा था।


उन्होंने अपने शुरुआती पढ़ाई गुजरात मैं ही पूरी की थी,और इसके पश्चात उन्होंने आगे की पढ़ाई करने के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज में प्रवेश प्राप्त किया, विदेश में उन्होंने अपनी प्रतिभा और विज्ञान में रुचि के कारण बहुत सारी उपाधियां प्राप्त की थी, परंतु जब दूसरा विश्व युद्ध प्रारंभ हुआ तो, वह कैंब्रिज से वापस अपने देश लौट आए थे, लेकिन बाद में यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज ने विक्रम साराभाई को डी.एस.सी. की उपाधि प्रदान की थी, जो एक महत्वपूर्ण सम्मान का प्रतीक है।


2.यहां आने के  पश्चात वे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरु में उन्होंने नोबेल पुरस्कार विजेता सीवी रमन के साथ अपने विज्ञान के रिसर्च कार्यों को जारी रखा, विज्ञान में उनके बेहतरीन  कार्यों की चर्चा देश में काफी जगह होने लगी, और यहीं पर उनकी मुलाकात देश के महान परमाणु वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा से हुई,

जब वर्ष 1966 में होमी जहांगीर भाभा की मृत्यु विमान दुर्घटना में हुई थी, तब परमाणु रिसर्च की पृष्ठभूमि ना होने के बावजूद भी विक्रम साराभाई कौ उनके जगह परमाणु ऊर्जा आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था।


 जबकि वह पहले से ही अंतरिक्ष रिसर्च प्रोग्राम चला रहे थे, प्रारंभ से ही विक्रम परमाणु ऊर्जा का उपयोग शांति पूर्ण कार्यों के लिए ही करना चाहते थे, और इस विषय में होमी जहांगीर भाभा और विक्रम के विचार मेल नहीं खाते थे, उन्होंने परमाणु आयोग का अध्यक्ष बनने के पश्चात उस समय के परमाणु बम प्रोग्राम को समाप्त करने की तैयारी शुरू की थी, कहां जाता है कि उस समय के प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई सारा भाई को बहुत पसंद किया करते थे, और इंदिरा गांधी भी विक्रम साराभाई को बहुत ज्यादा मानती थी, और उनकी एडवाइज को विशेष महत्व दिया करती थी।


3.होमी जहांगीर भाभा ने ही उनकी मुलाकात प्रसिद्ध डांसर मृणालिनी स्वामीनाथन से करवाई थी। जिनके साथ उन्होंने बाद में विवाह किया था। लेकिन शुरुआती मुलाकात में दोनों के बीच ऐसा कोई विशेष आकर्षण देखने को नहीं मिला था,लेकिन जब दोनों बाद में अपने-अपने फील्ड में सेटल हो चुके थे, जब उनकी मुलाकात बढ़ने लगी इसके बाद शादी हुई थी ,वह समय था, भारत में अंग्रेजो के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन का और उनकी शादी में उनके परिवार जन शामिल नहीं हो सके थे।


4.विक्रम साराभाई की बेटी मल्लिका बताती हैं कि, उनके पिता अधिकतर सोचने की मुद्रा में रहा करते थे, उनका हाथ हमेशा उनकी ठोडी पर रहा करता था।


वे बहुत ही सरल और जमीन से जुड़े इंसान थे,हमेशा खादी के कुर्ता पजामा पहना करते थे, जब भी कभी सूट पहनना होता तो वह हमेशा पैरों में कोल्हापुरी चप्पल  ही पहना करते थे,


5.उनके साथ काम करने वाले लोग बताते थे कि, वे सिटी बजाना काफी पसंद करते थे, उनके प्रयोगशाला में आने का पता वहां पर मौजूद लोगों को तब लग जाता था, जब वह सीटी  बजाते हुए सीढ़ियां चढ़ते थे और साथ ही उनकी चप्पलों की आवाज गुंजा करती थी,


म्यूजिक में उनको वेस्टर्न और क्लासिकल म्यूजिक बहुत ही पसंद थे। तनाव से मुक्त होने के लिए वह अक्सर संगीत सुना करते थे, और कहा जाता है कि,उन्होंने बहुत से गानों का संग्रह अपने पास इकट्ठा कर रखा था, और उनकी फेवरेट गायक कुंदन लाल सहगल थे, जिनको वह अक्सर सिटी के रूप में गुनगुनाया करते थे।


वो अपने पारिवारिक माहौल में बहुत ही लोकतांत्रिक व्यक्तित्व के धनी थे, जब भी कोई निर्णय लेना होता जिसमें परिवार की सभी कि राय को वह महत्व दिया करते थे, और किसी मामले में किसी के विचार भिन्न होते तो उन्हें वह मना लिया करते थे,


6.सारा भाई अपने स्वास्थ्य और वजन के प्रति काफी जागरूक रहते थे, वे सुबह प्रभात कालीन समय में जल्दी उठा करते और 12 बार सूर्य नमस्कार करते थे, अवसर मिलने पर तेराकी भी करते थे, वह बिल्कुल शाकाहारी थे, व खाने के मामले में भी वह काफी ख्याल रखते थे, उनकी पत्नी मृणालिनी नॉन वेजिटेरियन भी थी, लेकिन उन्होंने खाने में विक्रम साराभाई के लिए काफी सारी देसी और विदेशी डिश वेजिटेरियन रूप में उनको बना कर देती थी।


अब्दुल कलाम ने भी अपने जीवन के अनुभव के बारे में बताते हुए कहा है कि, विक्रम साराभाई जैसे व्यक्तियों का उनके जीवन में बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने हम जैसे नए लोगों को हमेशा आगे बढ़ाया, जब भी कोई फैलियर होता तो ,वह सबसे आगे होकर उसे एक्सेप्ट करते एवं जब हमें कोई  विशेष सफलताएं मिलती तो उसके लिए हमें क्रेडिट देते और सफलता पर हमें आगे कर देते थे। आज देश की अंतरिक्ष विज्ञान में जितनी भी हम सफलताएं और सम्मान प्राप्त कर रहे हैं,उनकी नींव रखने में बहुत बड़ा काम विक्रम साराभाई ने किया था,


विक्रम साराभाई की पुण्य तिथि व मृत्यु।

30 दिसंबर 1971 को त्रिवेंद्रम के बीच हाउस में ठहरे हुए थे, जब वह सुबह अपने कमरे से बाहर नहीं निकले तब उनके कमरे का दरवाजा तोड़कर अंदर देखा तो वह मच्छरदानी के अंदर सो रहे थे, एवं एक किताब उनके सीने पर पड़ी थी,जब उनके शरीर की जांच की गई तो डॉक्टर ने कहा कि उनकी मृत्यु 2 घंटे पहले ही हो चुकी है।


एवम् इस प्रकार देश के एक महान वैज्ञानिक को हमने खो दिया, आज विक्रम साराभाई की पहचान पूरे विश्व में एक श्रेष्ठ वैज्ञानिक के रूप में की जाती है। मरणोपरांत उन्हें देश में अहम सम्मान द्वारा भी नवाजा गया है।


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