बली हमेशा आम आदमी और गरीबों की दी जाती है,राजा के बच्चे राज करने के लिए पैदा होते हैं?
Unconstitutional aam aadami
जब भी कोई ऐसा मामला उठता है, जिसमें अपराधी कोई बड़ा व्यक्ति या उसका कोई रिश्तेदार होता है तो, उसमें आखिर जांच में यही सामने निकल कर आता है, कि वह निर्दोष है, और कोई अन्य व्यक्ति उस क्राइम का जिम्मेदार है, क्योंकि बली हमेशा आम और गरीब और इंसानों की दी जाती है, विशेष लोग ,बड़े लोग या यूं कहें कि राजा के बच्चे राज करने के लिए पैदा होते हैं!
इस कथन से आप समझ गए होंगे कि जो पावरफुल समुदाय के लोग हैं,वे जब चाहे जैसे चाहे अपराध कर दे, उनके लिए कोई सजा का प्रावधान नहीं है, बस अगर कुछ होता है ,जांच के नाम पर तो सिर्फ पाखंड और फॉर्मेलिटीज इसके अलावा कोई भी ऐसा एक्शन नहीं ले जाता,जिससे कि यह विश्वास किया जाए की जो हुआ है, अब न्याय के रूप में -न्याय सम्मत है!
आज के समय में व्यवस्थाओं में शक्ति का दुरुपयोग इस प्रकार से बड़ा है कि, कानून और संविधान का कोई मतलब नहीं है, पावरफुल लोग जैसे चाहे, कानून उतना ही झुकेगा एवं वह चाहेंगे वही कानून होगा ! और गरीब आदमी पर ही हमेशा कानून लागू होता है, और जो कोर्ट और न्यायालय बात करता है, संविधान भी वह उन लोगों पर ही लागू होता है, जो आम नागरिक हैं, जो कमजोर ,जो गरीब है!
न्याय व्यवस्था में आज तक का रिकॉर्ड रहा है कि, किसी भी पावरफुल ,अमीर आदमी को कोई वास्तविक दंड नहीं मिला है, जैसा कि एक आम अपराधी को मिलता है! जिससे कि क्राइम बढ़ता जा रहा है, लेकिन आज तक का इतिहास यही कहता है कि, जब भी ऐसी घटनाएं होती है, जब लोगों के मन में असंतोष बढ़ता है, और अपराधी सोचते हैं कि, लोग उनसे डरते हैं ,लेकिन धीरे-धीरे वह असंतोष लोगों के मन में संपूर्ण निश्चिता प्राप्त कर लेता है, एवं एक दिन जब उसकी सहनशीलता कम या समाप्त हो जाती है, उस दिन वह असंतोष फट पड़ता है! हजारों सालों का इतिहास यही कहता है, कि इस दुनिया में कुछ भी निश्चित व परमानेंट नहीं है, शक्ति सत्ता, ताकत हर एक चीज हमेशा परिवर्तित होती रहती है! लेकिन जब दंड भोगने की बारी उनकी आती है, जिन्होंने अपने शासनकाल में अन्याय किया हो, तो वह कानून की बात करेंगे, दया की बात करेंगे,मानव अधिकारों की बात करेंगे, और अहिंसा की बात करेंगे!
जानते हो अपराध क्या है,अपराध है गरीब पैदा होना, अपराध है सामान्य नागरिक होना, अपराध है कमजोर होना, अपराध है किसी से मदद की अपेक्षा करना!
लेकिन वह लोग यह नहीं जानते कि, डर का सिद्धांत क्या है, डर जब तक लोगों के अंदर है,तब तक डर पैदा करने वाला सुरक्षित है, परंतु जब उनके डर के कारण को ही वह लोग समाप्त कर देंगे, तब उनकी जिंदगी कितने खतरे में होगी, इसका वह अंदाजा भी नहीं लगा सकते!
इस लेख का विषय बिल्कुल ही काल्पनिक है, इसका किसी जीवित मृत व्यक्ति वस्तु या विषय से संबंध नहीं है,यह सिर्फ एक मनोरंजन के रूप में प्रस्तुत किया गया है, अतः सभी पाठक अपने विवेक से काम लें और सत्य प्रमाणित वैधानिक जानकारी को ही विश्वसनीय माने।
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