1- सबसे शुभ मुहूर्त- कौन सा होता है, अभिजीत मुहूर्त क्या होता है!



Shubh muhurt kab hota hai, Shubh muhurt ka samay kya hai, dashare per Shubh samay kya hota hai, Dussehra Puja ka Shubh samay kya hai!


अगर आप कोई व्यवसाय या कोई ऐसा जीवन में कार्य शुरू करने जा रहे हैं जो, आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है, और आप उसमें निश्चित सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो , इसके लिए आपको हिंदू परंपरा में हिंदू संप्रदाय में सबसे शुभ मुहूर्त माना जाने वाला मुहूर्त है, दशहरे का दिन का मुहूर्त, दशहरे का संपूर्ण दिन शुभ होता है! जिससे कि आपको आपके व्यवसाय में आपके कार्यों में आपको शुभ फल और विजय प्राप्त होती है, इस शुभदिन प्रारंभ हुआ कोई भी कार्य आपको जीवन में अच्छी सफलताएं प्रदान करने वाला होगा !


सबसे शुभ मुहूर्त वाला दिन कौन सा है!


भारतीय हिंदू परंपरा में सबसे शुभ मुहूर्त दशहरे एवं विजयदशमी को माना जाता है, क्योंकि इस शुभदिन को विजय के रूप में मनाया जाता है, जब भगवान श्रीराम ने अधर्म का नाश करके रावण का वध करके धर्म की स्थापना की बुराई पर अच्छाई की जीत हुई ,इसलिए यह दिन को विजयदशमी कहा जाता है, एवं इस दिन संपूर्ण दिन को शुभ मुहूर्त रहता है, जोकि उत्तम और फलदाई होता है। कोई भी अपने लिए किसी नए कार्य का प्रारंभ करने जा रहा है, तो इस शुभदिन इस अवसर का लाभ उठाएं और इस दिन को ही अपनी महत्वपूर्ण कार्य की शुरुआत करें, क्योंकि दशहरे का दिन सबसे शुभ मुहूर्त वाला शुभदिन होता है!



दशहरे को शुभ मुहूर्त कब होता है!


वैसे तो संपूर्ण दिन को शुभ मुहूर्त रहता है, परंतु अगर आप इस शुभदिन में भी अगर कोई अच्छा शुभमुहूर्त देखना चाहते हैं तो,अभिजीत मुहूर्त श्रेष्ठमुहूर्त होता है!जो और अधिक अत्यंत लाभदायक और विजय प्राप्त करने में सहायक होता है,इस शुभमुहूर्त पर प्रारंभ किया गया कोई भी कार्य अगर आप मेहनत के साथ करेंगे तो निश्चित ही आप जीवन में सफलताएं प्राप्त करेंगे, अभिजीत मुहूर्त एक श्रेष्ठमुहूर्त है, जो हिंदू परंपरा में सर्वमान्य है, इसलिए अभिजीतमुहूर्त आपको अत्यंत अधिक बल बुद्धि और सफलताएं विजय प्रदान करने वाला होता है!



भारत में दशहरे का महत्व क्या व क्यों मनाया जाता है!


हिंदू परंपरा में दशहरा एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, जिसको सभी लोग बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं, इस दिन को रावण के पुतले का दहन किया जाता है, जो कि एक प्रतीक है, बुराई पर अच्छाई की जीत और विजय का दशहरे को विजयदशमी के रूप में भी पुकारा जाता है! इस शुभदिन से पहले नवरात्रि के पहले दिन से भारत के बहुत से या यूं कहें कि अधिकतर गांवों, शहरों ,क्षेत्रों में जगह जगह पर रामलीला का आयोजन किया जाता है, जिसमें स्थानीय लोग एवं विशेष कलाकार भी इसमें रामायण के अनेक किरदारों का किरदार निभाते हैं एवं इसके  दसवें दिन रावण का वध होता है, जिसमें एक विशाल पुतले का निर्माण करके उसे दशहरे को जलाया जाता है,इसको देखने के लिए पूरे गांव शहर और क्षेत्र के लोग जमा होते हैं, बहुत से बच्चे भी बड़ी ही उत्सुकता से रावण दहन को देखने के लिए आते हैं, दूर-दूर से लोग अपने परिवार और बच्चों को रावण दहन दिखाने के लिए लेकर आते हैं,यह एक बहुत ही विशेष घटना वाला शुभदिन होता है! जिसको हम आज तक बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाते आ रहे हैं!


एवं इस दिन को ही मां दुर्गा का भी विशेष पूजन किया जाता है,जब 9 दिनों के नवरात्र की पूजा के पश्चात दसवें दिन को भी मां शक्ति की आराधना की जाती है, यह शुभदिन शक्ति पर्व के रूप में भी मनाया जाता है!


इस शुभदिन को माता सरस्वती का भी पूजन किया जाता है, और जो भी विद्यार्थी अपने जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहता है, वह मां सरस्वती की आराधना जरूर करें!


भारत के इतिहास में धार्मिक ग्रंथों में इस दिवस को बहुत से कार्यों की शुरुआत करने की भी हमें जानकारी मिलती है, और मान्यता है कि, इस शुभदिन प्रारंभ किया गया कार्य, शुभ होता है, विजय फल प्राप्त करने वाला होता है!

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