5-रुपये का सिक्का मोतीलाल नेहरू की 150वीं जयंती वाला -के बारे में जानकारी

5-रुपये का सिक्का मोतीलाल नेहरू की 150वीं जयंती वाला -के बारे में जानकारी


5rupees old Indian coin with Motilal Nehru photo

यह 5 रुपये का सिक्का भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मोतीलाल नेहरू की 150वीं जयंती के उपलक्ष में जारी किया गया था! 
इस पर मोतीलाल नेहरू का चित्र अंकित है ! इस सिक्के का वजन 6 ग्राम के लगभग होता है ! और इसका डायमीटर 23 एमएम होता है! इस का थिकनेस  1.9 एमएम के लगभग होती है! 
इस सिक्के को बनाने के लिए 60 से 70% कॉपर का इस्तेमाल किया जाता है! 10 से 20% जिंक और 10 से 20% निकल धातु  का, फिलहाल इस प्रकार के coin का निर्माण रिजर्व बैंक द्वारा बंद हो चुका है! इस प्रकार के सिक्के भारत के महत्वपूर्ण मिनटों द्वारा बनाए गए ! जिनमें मुंबई मिंट नोएडा मिंंट हैदराबाद मिंंट शामिल है.

आधा रूपया जार्ज किंग 6 के फोटो वाला 1947 के सिक्के कि जानकारी और सिक्के कि कीमत

अगर आप coins क़ो collect करना पसंद करते हैं! और आप coin collector's  हैं !तो इसका आपके कलेक्शन में होना आवश्यक है! आने वाले समय में इस सिक्के की कीमत अच्छी मिल सकती है !


5 रुपय का सिक्का मोतीलाल नेहरू की 150वीं जयंती वाला
5 रुपय का सिक्का मोतीलाल नेहरू की 150वीं जयंती वाला
मोतीलाल नेहरू  का जन्म  6 मई 1861 को हुआ था ! ये एक प्रख्यात वकील थे। यह भारत देश के  प्रथम प्रधानमन्त्री पंडित श्री जवाहरलाल नेहरू के पिता जी थे। वे देश के स्वतन्त्रता संग्राम मैं पहले आरम्भिक प्रमुख कार्यकर्ताओं में से थे। आजादी के समय जलियांवाला बाग हत्या काण्ड के पश्चात सन 1919 में अमृतसर में संपन्न हुई मीटिंग में कांग्रेस के वे पहली बार अध्यक्ष बने थे और इसके बाद 1928 में कलकत्ता में दोबारा फिर से कांग्रेस के अध्यक्ष बने।

मोतीलाल जी नेहरू का जन्म आगरा शहर  में हुआ था। इनके पिता जी का नाम गंगाधर था। वह विदेशों की पश्चिमी तरह की शिक्षा प्राप्त करने वाले प्रथम पीढ़ी के गिने-चुने प्रसिद्ध भारतीयों में से हुआ करते थे। इन्होंने इलाहाबाद के म्योर केंद्रीय महाविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की लेकिन बी०ए० की अन्तिम वर्ष की परीक्षा नहीं दे पाये थे। इसके बाद में इन्होंने कैम्ब्रिज के "बार ऐट लॉ" से उपाधि प्राप्त की और अंग्रेजों के समय न्यायालयों में अधिवक्ता के रूप महत्वपूर्ण कार्य प्रारम्भ किया।
मोतीलाल जी नेहरू की पत्नी  स्वरूप रानी थी। जिनसे जवाहरलाल नेहरू के रूप में उनके एकमात्र पुत्र थे। इनको दो लड़कियां भी थीं। जिनमें से बड़ी पुत्री का नाम विजयलक्ष्मी था, जो उस समय आगे चलकर विजयलक्ष्मी पण्डित के नाम से प्रख्यात हुई। इनकी छोटी पुत्री का नाम कृष्णा था। जो आगे चलकर  कृष्णा हठीसिंह कहलायीं थी।

नेहरू जी ने आगे चलकर  अपनी वकालत के कार्य को त्याग कर  भारत के आजादी के लिए स्वतन्त्रता संग्राम में अहम योगदान दिया  था। वर्ष 1923 में इन्होंने  देशबंधु चित्तरंजन दास के साथ काँग्रेस पार्टी को छोड़कर  अपनी  स्वयं की स्वराज पार्टी की स्थापना की थी। वर्ष 1928 में कोलकाता में एक अधिवेशन हुआ इस काँग्रेस अधिवेशन के वे अध्यक्ष चुने गये !

2 रूपये का सिक्का देशबंधु चितरंजन दास के चित्र/ आकृति वाला

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